हिन्दी कहानी
कहानी में वे सभी तत्व नहीं मिलते। वर्तमान की कहानी लेखन की प्रेरणा में अंग्रेजी
दिल को छू जाने वाली एक माँ के ममता की कहानी
चंदनपुर राज्य की समृद्धि चारों ओर खुशबू की तरह फैल कर पड़ोसी राज्यों को ईर्ष्या की आग में झोंक रही थी। चंदनपुर में चंदन के विशाल जंगल थे। जिसके कारण इसका नाम चंदनपुर था इसके अलावा यहां हीरे की खानें ...
युग की आरम्भिक कहानियाँ पुराने स्वरूप की थी। जिनका कथानक अलौकिक चमत्कारों से
बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ीवालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक़ से धुनते हुए, इक्के वाले कभी चंद्रधर शर्मा गुलेरी
लिखते समय कहानीकार यह ध्यान रखता है कि जिस कहानी की वह रचना कर रहा है वह
अशिक्षा को दर्शाने वाली कहानियाँ हैं।
शर्मा उग्र, विष्णु प्रभाकर, अमृतलाल नागर, आदि कहानीकार
संघर्ष के भी दर्शन होते हैं। इनकी प्रसिद्ध कहानियाँ हैं। महाराजा का इलाज, परदा, उत्तराधिकारी, आदमी का बच्चा, परलोक, कर्मफल, पतिव्रता, प्रतिष्ठा का बोझ
और देश प्रेम से ओतप्रोत कहानियाँ हैं।
अब माधव राव सप्रे की कहानी एक टोकरी भर मिट्टी' को हिन्दी की प्रथम कहानी मानते हैं जिसका
विशेष रूप से व्यक्त हुई है। इन कहानिकारों में, जैनेन्द्र, इलाचन्द्र जोशी, अज्ञेय, भगवती चरण वर्मा, चन्द्र गुप्त विद्यालंकार, आदि कहानीकार
लड़के पर जवानी आती देख जब्बार के बाप ने पड़ोस के गाँव में एक लड़की तजवीज़ कर ली। लेकिन जब्बार ने हस्बा की लड़की शब्बू को जो पानी भर कर लौटते देखा, तो उसकी सुध-बुध जाती रही। जैसे कथा कहानी में कहा जाता है कि शाहज़ादा नदी में बहता हुआ सोने का एक बाल यशपाल
माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे सुदर्शन